
सुयोग्य वर के लिए कन्याएं भी रखती है व्रत
दिनेश लेखी
कठूमर । स्मार्ट हलचल/हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है।हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तरतीया तिथि 7 अगस्त को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाएगा । इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं।इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु व अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शिव व पार्वती की विधिवत पूजा करती है। इसके साथ ही अविवाहित कन्याएं भी सुयोग्य वर पाने के लिए भी इस व्रत को रखती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव व पार्वती का पुनः मिलन हुआं था।इसी कारण सुहागिन महिलाएं खुशहाल जीवन के लिए भी इस उपवास को रखती है।इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व है,और महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां, हरे रंग की विशेष साड़ी लहरिया पहनती हैं। कठूमर कस्बे में वर्षों पूर्व हरियाली तीज के मौके पर लक्ष्मणगढ़ बस स्टैंड पर मेला लगता था और कई आयोजन किये जाते थे। और सभी उम्र की महिलाएं झूले झूलती थी। घरों के दालानों में स्थित वृक्षों पर पूरे सावन झूले लगाये जाते थे।और मौहल्ले की युवितयां व महिलाएं गीतों को गाकर झुले झुलने का आनंद लिया करती थी। लेकिन बदलते समय में ये सब अब समाप्त सा हो गया है। विशेष रूप से हरियाली तीज से एक दिन पहले पापड़ी घेवर सिर्फ कठूमर में ही बनते हैं। और लोगो को इस घेवर को लेने में घंटों लाइन में लगना पड़ता है । इस घेवर को विशेष दक्ष कारीगरों द्वारा बनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त को शाम 7 बजकर 42 मिनट पर प्रारंभ हो रही है । जो 7 अगस्त 2024 को रात दस बजे समाप्त होगी।
इनका क्या कहना
हिंदू धर्म में हरियाली तीज को महत्त्वपूर्ण व्रत माना जाता है इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती है। मान्यता है कि तीज के दिन शिव पार्वती की पूजा करने से कई गुणा अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर हाथों में हरे कांच की चूड़ियां धारण करती है। और हरी साडी पहनती है।
रितु जैन महिला श्रद्धालु
हरियाली तीज पर सुर्योदय से पूर्व महिलाओं को स्नान कर लेना चाहिए । पूजा स्थल को गोबर या गंगाजल अथवा शुद्व जल से लेपन कर पवित्र कर लेना चाहिए । और बालू के शिव पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करनी चाहिए।
सोनम खंडेलवाल
हरियाली तीज पर नवविवाहित महिला अपने पीहर जाती है।और नवविवाहित महिला की सास अपनी नवविवाहित बहू को हरियाली तीज से एक दिन पहले श्रंगार का सामान, झूले, कपड़े , मिठाई भेजते हैं। इसे सिंजारा भी कहा जाता है। आशा लेखी निवासी कठूमर