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बांकरा की दर्जनों बच्चियां छोड़ रही विधालय, पढ़ने के लिए कोसो दूर जाने को मजबूर

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बांकरा की दर्जनों बच्चियां छोड़ रही विधालय, पढ़ने के लिए कोसो दूर जाने को मजबूर

(आज़ाद नेब)

news 19 जुलाई/स्मार्ट हलचल/उपखंड क्षेत्र के बांकरा गांव मे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कला संकाय नहीं होने की वजह से आगे की पढ़ाई के लिए गांव के बच्चे बच्चियों को गांव मे विधालय होते हुए भी दुसरी जगह जाने को मजबूर है गांव की दर्जनों बच्चियां इस वजह से पढ़ाई छोड़ रही यह कहना है बांकरा गांव के लोगों का।

कहने को सरकारें बालिका शिक्षा एवम शिक्षण व्यव्स्था में सुधार करने के लिए कई प्रयास कर रही है हर साल नामांकन बढ़ाने पर जोर दे रही लेकिन बच्चे आगे भी पढ़े इसके लिए कोई कठोर नियम नही है कही अध्यापक नही है तो कही बच्चो का मन पसंद विषय संकाय नही हे इस कारण बच्चे आगे पढ़ नही पाते कई पढ़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर आगे की पढ़ाई कर रहे हैं ऐसा ही मामला हे जहाजपुर उपखंड की ग्राम पंचायत बांकरा में जहा कला संकाय के नहीं होने से आज भी प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा छोड़कर मजबूरी में विज्ञान संकाय लेना पड़ रहा हैं कई छात्र छात्राओं की आगे की पढ़ाई छूट जाती है इससे छात्र छात्रों का सपना अधूरा ही रह रहा है।

ग्रामीणों के मुताबिक बांकरा गांव में आसपास के दर्जनों गांवों के विद्यार्थी भी पढ़ने आते हैं। बांकरा गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कला संकाय नहीं होने की वजह से हर वर्ष पढ़ाई को लेकर छात्र-छात्राओं तथा अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में 400 से ज्यादा का नामांकन है जिनमे से छात्राओं की संख्या ज्यादा है गत वर्ष 50 छात्र छात्राओं ने 10 वीं के बाद टीसी कटवाई और इस वर्ष 40 छात्र छात्राओं ने करीबन 90 से ज्यादा छात्र छात्राएं आगे की पढ़ाई के लिए निजी साधनों में एक ही जीप में 15 से 20 बच्चे बैठ रहे है छोटे साधनों में क्षमता से अधिक बैठना मजबूरी बन गया है क्योंकि कम बच्चो के बैठने पर किराया अधिक वसूल किया जाता है इस विद्यालय के स्थापित हुए कई वर्ष बीत जाने के बाद भी विज्ञान संकाय ही संचालित हो रहा है। ग्रामवासियों ने कई बार कला संकाय खोलने की मांग की हैं मगर हर बार जनप्रतिनिधि केवल आश्वासन ही दे रहे हैं। बांकरा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कला संकाय नहीं होने की वजह से गांव के बालक-बालिकाओं का पढ़ाई करना मात्र एक सपना बनकर रह गया है। कला संकाय नहीं होने की वजह से गांव की बेटियां शिक्षा को यहीं विराम दे रही हैं स्थानीय गांव में कला संकाय खोला जाएं ताकि कोई भी बेटी शिक्षा से वांछित नही रहें।

किसी भी छात्र छात्रा का सपना धूमिल ना हो इसके लिए क्षेत्रीय विधायक गोपी चंद मीना के साथ शिक्षा मंत्री को ज्ञापन दिया गया कला संकाय खुलवाना पहली प्राथमिकता रहेगी


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