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तिरुमला तिरुपति सेवा समिति ने आध्यात्मिक यूरोप यात्रा से लौटे संतों का किया भव्य स्वागत

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यूरोप में भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति गहरी रुचि: संत दिग्विजय

शाहपुरा, पेसवानी

तिरुमला तिरुपति सेवा समिति द्वारा आज एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें आध्यात्मिक यूरोप यात्रा से सकुशल लौटे संत श्री रमता राम जी एवं संत श्री दिग्विजय राम जी सहित सभी भक्तजनों का अपर्णा ओढाकर भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सुनील कोठारी ने बताया कि 13 दिवसीय इस यूरोप यात्रा में संत श्री और 235 भक्तजनों ने नौ देशों की यात्रा की, जिसमें अनेक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।इस यात्रा का प्रमुख आकर्षण पेरिस, फ्रांस में श्री दिग्विजय राम जी का 24वां दीक्षा महोत्सव रहा, जिसे राधा कृष्णा मंदिर में भव्यता से मनाया गया। इसके साथ ही स्टूटगार्ट, जर्मनी में भी एक विशाल सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारी संख्या में भक्तजनों ने भाग लिया।
इस अवसर पर संत दिग्विजय राम जी ने बताया कि यूरोप के जर्मनी में रह रहे अप्रवासी भारतीयों ने भागवत कथा के आयोजन का निवेदन किया है, जिसे वर्ष 2025 में आयोजित किया जाएगा। यात्रा पर गए जमना लाल सोमानी, बाल किशन धुत, गोपाल चोखड़ा, अशोक चोखड़ा सहित सभी सदस्य और उनके परिवारों का भी तिरुमला तिरुपति सेवा समिति के सचिव गोविंद डाड और कोषाध्यक्ष प्रदीप पोरवाल ने अपर्णा ओढ़ाकर स्वागत किया।
इस स्वागत समारोह में समिति के कई प्रमुख सदस्य शामिल थे, जिनमें सोहनलाल पुंगलिया, भरत जागेटिया, सुनील जागेटिया, ओम प्रकाश पोरवाल, राकेश जैथलिया, अशोक कोठारी, ओम प्रकाश सोमानी, राकेश विजयवर्गीय, संपत कालिया, शिव पोरवाल, नरेंद्र चोखड़ा, रजनीश विजयवर्गीय, कैलाश डाड, राम किशन नारानीवाल, नवीन अजमेरा, अंकुश कोगटा, और सुजल अजमेरा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
समारोह के दौरान, संत श्री रमता राम जी ने यात्रा के अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह यात्रा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों का प्रचार-प्रसार करने का भी एक उत्तम अवसर था। उन्होंने कहा कि यूरोप के विभिन्न देशों में भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति गहरी रुचि देखी गई, जो भविष्य में और भी विस्तृत कार्यक्रमों के आयोजन के लिए प्रेरणादायक है।
अध्यक्ष सुनील कोठारी ने सभी भक्तजनों को धन्यवाद देते हुए कहा कि तिरुमला तिरुपति सेवा समिति हमेशा से ही धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रही है और आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रमों को आयोजित करती रहेगी। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान सभी भक्तजनों ने विभिन्न धार्मिक स्थलों का दर्शन किया और सत्संग व प्रवचनों में भाग लिया, जिससे सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति की अनुभूति हुई।समारोह के अंत में सभी उपस्थित सदस्य और भक्तजन संतों से आशीर्वाद लेने के लिए पंक्तिबद्ध हो गए। समिति ने सभी सदस्यों के स्वागत के लिए विशेष प्रबंध किए थे और एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस प्रकार, तिरुमला तिरुपति सेवा समिति द्वारा आयोजित यह स्वागत समारोह न केवल सफल रहा, बल्कि आने वाले समय में और भी बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए एक प्रेरणा स्रोत साबित हुआ। यूरोप यात्रा की सफलता से उत्साहित समिति ने भविष्य में और भी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की, जिससे समाज में धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का प्रसार हो सके।


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